है तू ही तू त साबुर में है तू ही तू तसर में कहां अपनी खबर कुछ है अलग तुझ में असर कुछ है तुमसे गिरन धूप की तुमसे सिया हरात है तुम बिन मैं बिन बात का तुम हो तभी कुछ बात है तुमसे किरण धूप की तुमसे सियाह आख है तुम दिन मैं बिना आप का तू त भी कुछ भात है

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